“खाटू श्याम “जी: कौन हैं?इतिहास, मान्यताएँ और भक्तों की आस्था

“खाटू श्याम “जी: कौन हैं?इतिहास, मान्यताएँ और भक्तों की आस्था

खाटू श्याम "जी: कौन हैं?

राजस्थान के सीकर जिले में खाटू श्याम जी मंदिर स्थित है ।

भगवान श्रीकृष्ण के वरदान से खाटू श्याम जी को कलयुग में ‘श्याम’ नाम से पूजने का अधिकार प्राप्त हुआ।

हर साल लाखों श्रद्धालु उनकी पूजा-अर्चना करने के लिए यहाँ आते हैं। इस ब्लॉग में हम उनके इतिहास, मंदिर की मान्यता और भक्ति से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

1. “खाटू श्याम”जी का इतिहास

महाभारत काल में बर्बरीक नाम के एक वीर योद्धा थे, जो घटोत्कच (भीम के पुत्र) के पुत्र थे। उनकी तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें तीन अमोघ बाणों का वरदान दिया, जिससे वह युद्ध को एक ही क्षण में समाप्त कर सकते थे।

जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ, तो बर्बरीक श्रीकृष्ण के पास गए और कहा कि वे हमेशा पराजित पक्ष का साथ देंगे। यह सुनकर श्रीकृष्ण को चिंता हुई कि यदि बर्बरीक युद्ध में उतरे तो यह युद्ध कभी समाप्त नहीं होगा। तब श्रीकृष्ण ने उनसे दान मांगते हुए उनका सिर मांग लिया। बर्बरीक ने सहर्ष अपना शीश दान कर दिया।

श्रीकृष्ण ने उनके बलिदान से प्रसन्न होकर वरदान दिया कि कलियुग में तुम श्याम के नाम से पूजे जाओगे, और जो भी सच्चे मन से तुम्हारी भक्ति करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होंगी।

2. “खाटू श्याम” मंदिर का महत्व

खाटू श्याम जी का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। माना जाता है कि यहाँ उनकी मूर्ति जमीन से प्राप्त हुई थी और यह स्वयं प्रकट हुई थी।

मंदिर का निर्माण राजा रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी ने करवाया था।

यहाँ फाल्गुन माह में विशाल मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।

मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्याम की भव्य प्रतिमा स्थापित है, जिसे देखने मात्र से भक्तों की सभी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं।

3. खाटू श्याम जी की भक्ति और मान्यताएँ

खाटू श्याम जी को ‘हारे का सहारा’ कहा जाता है।

यह माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से श्याम बाबा का स्मरण करता है, उसकी सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।

श्री श्याम जी का भजन और चालीसा पढ़ने से घर में सुख-समृद्धि आती है।भक्तजन श्याम बाबा को केसरिया छप्पन भोग चढ़ाते हैं।

निशान यात्रा में लाखों श्रद्धालु पैदल यात्रा करते हुए बाबा के दरबार में हाजिरी लगाते हैं।

4. मेला और विशेष उत्सव

हर साल फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वादशी को खाटू श्याम जी का विशाल मेला लगता है। यह मेला 3 से 5 दिनों तक चलता है और इसमें देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं।

रथ यात्रा: बाबा श्याम की प्रतिमा को रथ में विराजित कर नगर भ्रमण कराया जाता है।

अखंड कीर्तन: 24 घंटे तक भक्तजन बाबा के भजन और कीर्तन गाते हैं।

दर्शन के विशेष नियम: मेले के दौरान मंदिर के पट 24 घंटे खुले रहते हैं, ताकि अधिक से अधिक भक्त दर्शन कर सकें।

5. मंदिर कैसे पहुँचे?

यदि आप खाटू श्याम जी के दर्शन करने जाना चाहते हैं, तो यहाँ तक पहुँचने के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं:

निकटतम रेलवे स्टेशन: रींगस जंक्शन (Ringas Junction) – यहाँ से खाटू श्याम मंदिर केवल 17 किमी दूर है।

निकटतम हवाई अड्डा: जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट (110 किमी)

सड़क मार्ग: जयपुर, दिल्ली, अजमेर, और अन्य प्रमुख शहरों से सीधी बसें उपलब्ध हैं।

निष्कर्ष

खाटू श्याम जी की महिमा अनंत है और उनकी भक्ति से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। चाहे फाल्गुन मेले में जाएँ या किसी भी समय बाबा के दर्शन करें, उनका आशीर्वाद सभी भक्तों पर बना रहता है। यदि आप भी बाबा श्याम के परम भक्त हैं, तो उनकी कथा, भजन और सेवा में अपना समय लगाएँ।

श्याम तेरी महिमा अपरंपार!”

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